राजस्थान शिक्षा बजट 2025-26: सरकारी खर्च बढ़ा, लेकिन टूटी छतों ने सच उजागर कर दिया
भारत में शिक्षा पर सरकारी खर्च लगातार बढ़ाने की बात हर साल की बजट भाषणों में दोहराई जाती है। लेकिन जब जमीनी स्तर पर बच्चे जर्जर स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हों और वही दीवारें उनके जीवन के लिए खतरा बन जाएँ, तब सवाल उठना ज़रूरी हो जाता है — क्या शिक्षा बजट का पैसा सही जगह खर्च हो रहा है?
2025 का वर्ष राजस्थान के लिए इस प्रश्न का सबसे भयावह उत्तर लेकर आया। राज्य में शिक्षा के नाम पर हज़ारों करोड़ रुपये का बजट तो पास हुआ, लेकिन उसी दौरान टूटी छतों और कमजोर स्कूल ढाँचों ने कई बच्चों की जान ले ली। यह लेख सरकारी रिपोर्टों और विश्वसनीय मीडिया स्रोतों पर आधारित है, ताकि हम देख सकें कि बजट और हकीकत के बीच कितनी दूरी है।
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| Rajasthan’s 2025 education spending reveals ground realities |
राजस्थान शिक्षा बजट 2025-26
1. राजस्थान शिक्षा बजट 2025-26 की बड़ी बातें
PRS Legislative Research की आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार,
राजस्थान सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए कुल ₹ 3,79,617 करोड़ का व्यय प्रस्तावित किया — जो पिछले वर्ष से करीब 14 प्रतिशत अधिक है।
राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) ₹ 19.89 लाख करोड़ आँका गया, जिससे स्पष्ट है कि खर्च GSDP का लगभग 19 प्रतिशत है।
यह अनुपात भारत के औसत से बेहतर माना जा सकता है।
(Source: PRS Legislative Research, Rajasthan Budget Analysis 2025-26)
राज्य ने यह दावा किया कि उसका लक्ष्य शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण पर प्राथमिकता देना है। वित्त विभाग की Budget at a Glance 2025-26 रिपोर्ट भी बताती है कि सामाजिक सेवाओं को कुल व्यय का सबसे बड़ा हिस्सा मिला।
लेकिन जब हम “शिक्षा विभाग” के अंदर झाँकते हैं, तो वहाँ की सच्चाई कहीं ज़्यादा चौंकाने वाली मिलती है।
2. शिक्षा पर खर्च की सच्चाई
राज्य स्तर पर शिक्षा पर खर्च बढ़ाने के बावजूद स्कूलों की दशा संतोषजनक नहीं है। 2023-24 में राजस्थान ने अपनी कुल व्यय का लगभग 19.5 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा पर आवंटित किया था। यह आँकड़ा PRS India की पिछली रिपोर्ट से लिया गया है।
लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि शिक्षा के इस बजट का बहुत बड़ा हिस्सा वेतन और पेंशन में चला जाता है।
2023-24 के लिए राजस्थान का वेतन व्यय ₹ 71,498 करोड़, और पेंशन ₹ 26,072 करोड़ था। यानि लगभग ₹ 1 लाख करोड़ से अधिक खर्च सिर्फ वेतनभोगियों पर।
इससे यह स्पष्ट है कि जो पैसा स्कूलों के विकास, मरम्मत या तकनीकी सुधार पर लगना चाहिए था, वह प्रशासनिक खर्च में सिमट गया।
3. टूटी इमारतें, गिरती छतें: बजट के बीच मौतें
राजस्थान में 2025 में दो दर्दनाक घटनाएँ सामने आईं, जिन्होंने सरकारी दावों की पोल खोल दी।
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25 जुलाई 2025 – झालावाड़ जिले के पीपलौदी गांव में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई और 20 से अधिक बच्चे घायल हुए।
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29 जुलाई 2025 – जैसलमेर में एक स्कूल के गेट का स्तंभ गिरने से एक बच्चे की मौत हुई।
यानी सिर्फ एक महीने में 8 बच्चों की मौत सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि उनके स्कूल सुरक्षित नहीं थे।
इसी दौरान, सरकार दावा कर रही थी कि राज्य के हर स्कूल में “स्मार्ट क्लास” और “डिजिटल लर्निंग” लायी जाएगी।
4. कितने स्कूल खतरनाक स्थिति में हैं
2025 की शुरुआत में राजस्थान हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार को स्कूल भवनों की स्थिति पर रिपोर्ट देने का आदेश दिया।
रिपोर्ट के अनुसार—
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86,934 कक्षा-कक्ष पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं।
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5,667 स्कूल “पूरी तरह असुरक्षित” घोषित किए गए।
इतने बड़े पैमाने पर जर्जर भवनों की उपस्थिति अपने आप में संकेत है कि बजट का विकास भाग (इन्फ्रास्ट्रक्चर) कितना कम है।
यहाँ तक कि अदालत को इन स्कूलों में पढ़ाई पर अस्थायी रोक लगाने का निर्देश देना पड़ा।
5. राष्ट्रीय तुलना: समस्या सिर्फ राजस्थान में नहीं
देश के अन्य राज्यों में भी 2025 में इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण मौतें रिपोर्ट हुईं— जैसे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 8 अक्टूबर 2025 को एक सरकारी स्कूल का गेट गिरने से एक 7-वर्षीय बच्चे की मौत हुई।
इस प्रकार 2025 में अब तक भारत में कम से कम 9 बच्चों की मौत सरकारी स्कूलों के खराब इन्फ्रास्ट्रक्चर की वजह से पुष्टि हो चुकी है— जिनमें 8 मौतें सिर्फ राजस्थान से हैं।
इस तुलना से स्पष्ट है कि देश भर में शिक्षा पर खर्च तो हो रहा है, पर सुरक्षा मानकों और भवन निगरानी की प्रणाली अब भी कमज़ोर है।
6. स्कूलों की मूलभूत सुविधाएँ: UDISE+ रिपोर्ट की चेतावनी
UDISE+ 2023-24 रिपोर्ट (Ministry of Education) ने बताया कि:
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राजस्थान के करीब 40 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर या इंटरनेट सुविधा नहीं है।
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लगभग 35 प्रतिशत स्कूलों में कार्यरत शौचालय या पेयजल सुविधा अपर्याप्त है।
इन आँकड़ों से साफ़ है कि बजट में दिखने वाली वृद्धि वास्तविक सुविधाओं में परिवर्तित नहीं हो रही।
जहाँ तक “स्मार्ट क्लास” या “डिजिटल राजस्थान” की बात है, वह अभी काग़ज़ों तक सीमित दिख रही है।
7. जब शिक्षा बजट वेतन में सिमट जाए
विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी राज्य के शिक्षा बजट का 70 प्रतिशत से अधिक भाग वेतन में जाना संरचनात्मक कमज़ोरी दिखाता है। राजस्थान में यह भाग लगभग 80 से 85 प्रतिशत तक है। इस कारण से राज्य के पास नए स्कूल खोलने, लैब स्थापित करने या मौजूदा भवन मरम्मत के लिए सीमित संसाधन बचते हैं।
NEP 2020 ने लक्ष्य रखा था कि भारत शिक्षा पर GDP का 6 प्रतिशत खर्च करेगा। लेकिन अगर उस खर्च का अधिकांश हिस्सा वेतन पर ही लग जाए, तो गुणवत्ता में वृद्धि संभव नहीं हो पाती।
8. सरकारी दावों के पीछे की हकीकत
राज्य सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में “बड़ा निवेश” कहकर राजनीतिक बढ़त बनाने की कोशिश की। लेकिन जब राज्य के स्कूलों में छतें गिर रही हैं और अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि विकास के दावे काग़ज़ों से आगे नहीं बढ़े।
बजट में घोषित योजनाएँ—“स्मार्ट क्लास”, “बालिका शिक्षा”, “PM-SHRI स्कूल”— अच्छे इरादों के साथ लायी गयीं हैं, पर उनकी ग्राउंड इम्प्लीमेंटेशन रफ्तार धीमी है।
9. विशेषज्ञों की राय और समाधान
NITI Aayog और NIEPA (राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान) के शोधकर्ताओं का मानना है कि—
राज्य सरकारों को बजट का कम से कम 25-30 प्रतिशत भाग इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार के लिए आरक्षित करना चाहिए।
साथ ही हर दो साल में स्कूल-भवन का “सुरक्षा ऑडिट” कराना अनिवार्य होना चाहिए।
प्रस्तावित उपाय
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प्रत्येक जिले में “School Safety Fund” स्थापित किया जाए।
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पुरानी इमारतों के लिए समर्पित मरम्मत बजट (समानांतर to salary head) निर्धारित किया जाए।
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डिजिटल क्लासरूम से पहले भवनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
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शिक्षकों के साथ-साथ विद्यालय प्रबंध समितियों की ट्रेनिंग बढ़ाई जाए।
निष्कर्ष
राजस्थान का शिक्षा बजट 2025-26 संख्याओं में बड़ा है, पर ज़मीनी हकीकत काफी कमज़ोर है। राज्य में जहाँ बजट लाखों करोड़ तक पहुंच गया, वहीं बच्चे टूटी छतों के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं। सरकार का फर्ज़ सिर्फ पैसा खर्च करना नहीं, बल्कि उसका सही प्रयोग सुनिश्चित करना भी है।
यदि राजस्थान सच में शिक्षा के मामले में आगे बढ़ना चाहता है, तो उसे वेतन से अधिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, सुरक्षा और गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। क्योंकि कोई भी राज्य तभी विकसित कहला सकता है जब उसके बच्चे सुरक्षित भवनों में, बेहतर शिक्षकों के साथ सीख रहे हों।
स्रोत सूची
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PRS Legislative Research – Rajasthan Budget Analysis 2025-26
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Finance Department, Government of Rajasthan – Budget at a Glance 2025-26
Times of India (8 March 2015) – Rajasthan spends 87% of its education budget on salaries of its teachers
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UDISE+ Report 2023-24 – Ministry of Education, Government of India

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