जानिए — 2025-26 के कृषि बजट में सरकार कहाँ खर्च करेगी और किसानों को क्या मिलेगा
भारत सरकार ने 4 नवंबर 2025 को “आउटपुट–आउटकम मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क "(OOMF) 2025–26” जारी किया है। यह रिपोर्ट बताती है कि आने वाले वित्त वर्ष में केंद्र सरकार किस तरह कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए निवेश करने जा रही है। रिपोर्ट में हर प्रमुख योजना के लिए तय किए गए लक्ष्य (Output) और परिणाम (Outcome) स्पष्ट रूप से दिए गए हैं।
कृषि मंत्रालय का यह फ्रेमवर्क न सिर्फ योजनाओं की दिशा तय करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकार किसानों की आय, कृषि-उत्पादकता, और प्राकृतिक संसाधनों की दक्षता को कैसे बढ़ाना चाहती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि इस रिपोर्ट में क्या नया है और इसका किसानों पर क्या असर पड़ेगा।
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कृषि मंत्रालय की 2025-26 रिपोर्ट: किसानों के लिए नए लक्ष्य और ₹1.8 लाख करोड़ का बजट
1. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): हर भूमिधारी किसान को स्थायी आय सहायता
इस योजना के लिए ₹61,000 करोड़ का आवंटन किया गया है। लक्ष्य है कि 9.5 करोड़ किसानों को इस वित्त वर्ष में सहायता मिले।
PM किसान योजना से हर योग्य किसान को सालाना ₹6,000 की राशि तीन किश्तों में मिलती है। रिपोर्ट के अनुसार 100% किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा और लगभग 75% किसान इस राशि का उपयोग कृषि कार्यों, बीज, खाद या सिंचाई के साधनों के लिए करेंगे।
यह योजना किसानों के लिए न्यूनतम आय सुरक्षा का स्तंभ बन चुकी है। इसका उद्देश्य किसानों की नकदी प्रवाह में स्थिरता लाना और खेती के जोखिम को घटाना है।
2. संशोधित ब्याज सब्सिडी योजना (Modified Interest Subvention Scheme - MISS)
इस योजना के तहत किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण देने के लिए ₹23,000 करोड़ रखे गए हैं। सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 25 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खातों को शॉर्ट टर्म क्रेडिट मिले और ₹10.69 लाख करोड़ का कुल कृषि ऋण जारी हो।
इसके साथ ही 8 करोड़ किसान क्रेडिट सुविधा का लाभ उठाएँगे, जिससे छोटे और सीमांत किसानों के लिए पूंजी की पहुँच बढ़ेगी। यह योजना कृषि-निवेश को बढ़ावा देने और किसानों को साहूकारों पर निर्भरता से मुक्त करने की दिशा में अहम है।
3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): डिजिटल क्लेम से किसानों का भरोसा बढ़ा
फसल हानि का आकलन अब “YES-Tech” और “WINDS” जैसी नई डिजिटल प्रणालियों से किया जाएगा। इसके तहत:
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200 जिलों में टेक्नोलॉजी आधारित यील्ड-एस्टीमेशन सिस्टम लागू होगा।
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7,500 स्वचालित मौसम स्टेशन (AWS) स्थापित किए जाएंगे।
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90% तक बीमा क्लेम एक महीने के भीतर निपटाने का लक्ष्य है।
यह योजना किसानों को जोखिम से सुरक्षा देती है और समय पर मुआवजा सुनिश्चित करती है।
4. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY): राज्यों को मिलेगी योजना बनाने की स्वतंत्रता
इस योजना का उद्देश्य राज्यों को कृषि विकास की योजना बनाने में स्वायत्तता और लचीलापन देना है।
₹9,000 करोड़ के बजट के साथ, यह स्कीम खेती को लाभदायक व्यवसाय में बदलने का प्रयास करेगी।
मुख्य लक्ष्य:
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400 परियोजनाएँ कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में लागू हों।
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500 से अधिक एग्री-स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता मिले।
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10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र माइक्रो-इरिगेशन (drip और sprinkler) से जोड़ा जाए।
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पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 70% तक कमी लाई जाए।
यह योजना किसानों को तकनीक, उद्यमिता और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप कृषि विकास की दिशा देती है।
5. कृषि उन्नति योजना (Krishionnati Yojana): मिट्टी से लेकर ऑर्गेनिक खेती तक
₹1,500 करोड़ के बजट वाली इस योजना में कई उप-योजनाएँ शामिल हैं जैसे:
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परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) – ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा
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मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता परियोजना – मिट्टी परीक्षण और सॉयल कार्ड
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एग्रोफोरेस्ट्री मिशन – पेड़ आधारित खेती
मुख्य लक्ष्य:
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1.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को ऑर्गेनिक खेती में बदलना
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50 लाख किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड देना
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200 लाख गुणवत्ता-युक्त पौधे तैयार करना
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1000 स्कूलों को सॉयल-हेल्थ कार्यक्रम से जोड़ना
इससे किसानों में रासायनिक उर्वरक पर निर्भरता घटेगी और जैविक उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
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6. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (NMEO–Oilseeds & Oil Palm): आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम
भारत हर साल खाने के तेल पर भारी विदेशी खर्च करता है। सरकार ने 2025-26 के लिए ₹8,500 करोड़ का बजट दिया है ताकि देश में तेल बीजों और पाम तेल का उत्पादन बढ़ाया जा सके।
मुख्य लक्ष्य:
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10 लाख हेक्टेयर में तेल बीज फसलें
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1.5 लाख हेक्टेयर में ऑयल पाम का नया रोपण
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घरेलू तेल उत्पादन को 120 से बढ़ाकर 134.8 लाख टन तक लाना
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क्रूड पाम ऑयल उत्पादन को 3.9 से 11.2 लाख टन तक बढ़ाना
इससे आयात पर निर्भरता घटेगी और किसानों को अधिक लाभ मिलेगा।
7. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM): अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता
इस योजना का उद्देश्य देश में खाद्यान्न उत्पादन और पोषण स्तर को बढ़ाना है।
लक्ष्य:
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कुल उत्पादकता 2600 किग्रा प्रति हेक्टेयर
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पोषक अनाज की उत्पादकता 1370 किग्रा प्रति हेक्टेयर
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अतिरिक्त 4.6 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन
यह मिशन देश में खाद्यान्न आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के साथ-साथ पोषण सुरक्षा पर भी ध्यान देता है।
8. राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF): मिट्टी और पर्यावरण के लिए स्थायी पहल
सरकार ने ₹1,226 करोड़ इस मिशन के लिए रखे हैं।
लक्ष्य:
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7.5 लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती लागू करना
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1 करोड़ किसानों को जागरूक करना
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30,000 “कृषि सखियों” को प्रशिक्षित करना
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1,600 वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों को मिशन प्रशिक्षण देना
यह मिशन जैविक खेती को अगले स्तर पर ले जाने का प्रयास है ताकि खेती अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल बने।
9. किसान उत्पादक संगठन (FPOs): किसानों की सामूहिक ताकत
सरकार का लक्ष्य 10,000 FPO बनाना है, जिनके लिए ₹700 करोड़ का बजट है।
2025-26 में लक्ष्य है कि:
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2.4 लाख नए किसान FPOs में जुड़ें
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3,000 FPOs को बीज, खाद और कीटनाशक के लिए लाइसेंस मिले
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1,000 FPO बीज उत्पादन में काम करें
रिपोर्ट में बताया गया है कि औसतन एक FPO का टर्नओवर ₹38 लाख तक पहुँचेगा।
FPOs से किसानों को सामूहिक सौदेबाजी और बाजार तक सीधी पहुँच मिलेगी।
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10. कृषि अवसंरचना कोष (AIF): गाँव-गाँव में भंडारण और मूल्य संवर्धन
यह योजना कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। ₹1,000 करोड़ का सीधा बजट और ₹30,000 करोड़ निजी निवेश लक्ष्य रखा गया है।
मुख्य लक्ष्य:
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1000 लाख मीट्रिक टन भंडारण क्षमता का निर्माण
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10 लाख ग्रामीण रोजगार सृजन
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55% फंड उपयोग दर सुनिश्चित करना
इससे किसानों को बेहतर स्टोरेज, कोल्ड-चेन और मार्केटिंग सुविधाएँ मिलेंगी।
11. प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA)
₹6,941 करोड़ के अनुमानित फंड के साथ यह योजना किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देती है।
इसमें दो प्रमुख घटक हैं:
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PSS (Price Support Scheme) – सरकार द्वारा सीधे खरीद
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PDPS (Price Deficiency Payment Scheme) – यदि बाजार मूल्य MSP से कम हो तो भुगतान
यह योजना तेल बीजों और दलहन किसानों को मूल्य सुरक्षा प्रदान करती है। किसानों को भुगतान में देरी कम करने के उपाय भी किए गए हैं।
12. नमो ड्रोन दीदी योजना: महिला किसानों की तकनीकी ताकत
यह योजना महिला सशक्तिकरण की दिशा में कृषि मंत्रालय की नई पहल है। ₹950 करोड़ के फंड से।
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11,410 महिला स्व-सहायता समूहों को ड्रोन दिए जाएंगे
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प्रत्येक समूह में महिला पायलट और ड्रोन असिस्टेंट का प्रशिक्षण
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लगभग 1.7 लाख हेक्टेयर खेत क्षेत्र ड्रोन से कवर किया जाएगा
इससे ग्रामीण महिलाओं को आय का नया स्रोत मिलेगा और आधुनिक तकनीक का उपयोग खेतों तक पहुँचेगा।
13. डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन: हर किसान का डिजिटल पहचान पत्र
इस मिशन के तहत हर किसान का डिजिटल फ़ार्मर आईडी बनाया जाएगा जो उसकी भूमि और फसल डेटा से जुड़ा होगा। लक्ष्य है कि 9 करोड़ किसान इस वर्ष रजिस्टर्ड हों।
इससे किसान को सरकारी योजनाओं, बीमा, क्रेडिट और मार्केटिंग सेवाओं का लाभ एक प्लेटफॉर्म पर मिलेगा।
8 राज्यों में Digital Crop Survey से फसल क्षेत्र का सही आकलन किया जाएगा।
14. कृषि विपणन और e-NAM विस्तार
सरकार का लक्ष्य है कि 150 नई मंडियाँ e-NAM से जुड़ें और ऑनलाइन व्यापार को बढ़ावा मिले। करीब 1.1 लाख किसान और व्यापारी जागरूकता कार्यक्रमों में शामिल होंगे। इससे कृषि व्यापार पारदर्शी और डिजिटल होगा, और किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे।
15. कृषि विस्तार (Agriculture Extension): किसानों तक ज्ञान पहुँचाने की नई दिशा
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60,000 किसानों और युवाओं को प्रशिक्षण
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5,470 एग्री-उद्यमियों को प्रशिक्षित किया जाएगा
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“किसानवाणी”, “हैलो किसान”, “कृषि दर्शन” जैसे कार्यक्रमों से 35 करोड़ दर्शक/श्रोता जुड़े रहेंगे
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कृषि विश्वविद्यालयों और KVK के माध्यम से नई तकनीक किसानों तक पहुँचेगी
रिपोर्ट का समग्र विश्लेषण
वित्तीय दृष्टि से:
कृषि मंत्रालय ने 2025-26 के लिए लगभग ₹1.8 लाख करोड़ से अधिक का कुल आवंटन प्रस्तावित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 8-10% अधिक है।
रणनीतिक दृष्टि से:
इस बार सरकार का ध्यान केवल योजनाओं के वितरण पर नहीं, बल्कि उनके परिणामों पर है।
प्रत्येक स्कीम के लिए स्पष्ट आउटपुट-आउटकम निर्धारित किए गए हैं।
कृषि परिवर्तन की तीन मुख्य दिशाएँ:
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आय सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन — PM-KISAN, PMFBY, PM-AASHA
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संसाधन दक्षता और अवसंरचना — AIF, RKVY, Micro-Irrigation
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टिकाऊ खेती और महिला सशक्तिकरण — NMNF, Drone Didi, FPO Mission
निष्कर्ष
“OOMF 2025-26” रिपोर्ट से स्पष्ट है कि भारत की कृषि नीति अब ‘आधुनिक, डिजिटलीकृत और स्थायी’ दिशा में बढ़ रही है। सरकार का ध्यान किसानों की आय को स्थिर करने, उत्पादन लागत घटाने और नई तकनीक को गाँव-गाँव पहुँचाने पर है।
अगर इन लक्ष्यों पर योजनानुसार अमल होता है, तो 2025-26 का वर्ष भारतीय कृषि के लिए एक नया मील का पत्थर साबित हो सकता है — जहाँ किसान केवल उत्पादक नहीं, बल्कि सशक्त उद्यमी बनकर उभरेंगे।
Source - “OOMF 2025-26” रिपोर्ट


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